हे प्रभु! अपने भक्तों का कल्याण करना,यही प्रार्थना है | Sudhanshu Ji Maharaj

हे प्रभु! अपने भक्तों का कल्याण करना,यही प्रार्थना है | Sudhanshu Ji Maharaj

हे प्रभु! अपने भक्तों का कल्याण करना, यही प्रार्थना है | Prayer

हे प्रभु! अपने भक्तों का कल्याण करना, यही प्रार्थना है | Prayer

हे प्रभु! अपने भक्तों का कल्याण करना,यही प्रार्थना है

श्रद्धा भाव से दोनों हाथ जोड़िए और प्रेम पूर्वक आंखे बंद करें! माथा शान्त करें, चेहरे पर मुस्कान, आंखों की पुतलियां बंद पलकों में स्थिर कर लीजिए। शान्त.. दयालु, दयानिधान, कृपानिधान परमेश्वर अपने बच्चों का प्रणाम स्वीकार करो! अनंत कृपाओं के प्रति आभारी हैं।
जीवन के संघर्षों के बीच सदैव संबल बनकर, सहारा बनकर आपने हाथ बढ़ाया।

आपके हाथ नहीं दिखाई दिए लेकिन आपका सहारा दिखाई दिया है! हमारा मान भी तू , सम्मान तू, हमारी आन बान शान सब तू ही तो है। तुझसे ही सारे नाते, तुझसे ही सारे रिश्ते हैं प्रभु!आपके साथ हम सदैव कनैक्ट रहें, सम्बंधित रहें!

आपके प्रेम का प्रवाह हमारे हृदय में बहता रहे! और हम अपनी पहचान खुद भी जान सकें, खुद को पहचान सकें और इस दुनियां में हम अपनी पहचान कायम भी कर सकें।

अपने भक्त को स्वीकारें! यही प्रार्थना है

अपनी पहचान छोड़कर भी जा सकें! हम औरों से भी पहचाने जाएं। लेकिन आप भी अपने भक्त को स्वीकारें और दुनियां को भी महसूस हो कि हम आपके हैं। वैसा ही हमारा व्यवहार भी हो। वो बुद्धि देना भगवान जो विवेकिनी हो। वो हृदय दीजिए जिसमें प्रेम और उदारता हो।
मन वह जो शांत और संतुलित।

वाणी ऐसी मधुर भी हो! शान्ति देने वाली भी, रिश्ते जोड़ने वाली भी!  इन हाथों के द्वारा वह कर्म हो जिस कर्म के द्वारा हम अपना उद्धार करें और दुनिया का भी भला करें, और इन हाथों के द्वारा हाथ जोड़ते हुए जहां आपको प्रणाम करें अपने कर्मों से भी प्रभु हम आपकी अर्चना कर सकें! हमारे पग भी आपकी राह में बढ़ें, लक्ष्य को प्राप्त करें।

प्रभु हमारी यह भी प्रार्थना है!

इस संसार से विदा होने का समय आए तो शान्त, संतुष्ट, तृप्त, आनंदित होकर आपके धाम की ओर बढ़ें, और जब वहां आएं तो आपकी अनंत कृपाओं को पा सके, संसार से मुक्त हो सकें! प्रभु हमारी यह भी प्रार्थना है! अनेक-अनेक भक्त आपके दर से आस लगाकर बैठे हैं, हर किसी की कोई न कोई उलझन है, किसी न किसी तरह की समस्या है।

कोई न कोई दर्द हर किसी के पास है! किसी न किसी तरह का आभाव भी हर किसी के पास है! प्रभु सबकी कामना पूरी करना, सबकी आस पूरी हो! अपना आशीष देना! अपने भक्तों का कल्याण करना! हमारी विनती को स्वीकार कीजिए प्रभु यही प्रार्थना है।

ॐ शान्ति: शान्ति शान्ति: ॐ

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