वह एक आध्यात्मिक पथप्रदर्शक या मार्ग दर्शक होता है जो हमे आध्यात्मिक प्रगति के लिए सहायक होता है , स्वयं को जानना और अपना आत्म कल्याण करना – यह गुरु के ज्ञान के बिना संभव नहीं! जो हमे अंधकार से निकल कर प्रकाश की यात्रा कराते हैं , वही तो हमारे सदगुरु होते हैं !
गुरु पद को वही प्राप्त कर सकता है जिसने अपनी आत्मा को इतना ऊँचा उठा लिया हो जहां प्रभु का साक्षात्कार संभव हो जाये! उसी उच्चतम अवस्था को प्राप्त करने वाला गुरु ही अपने शिष्य का पथ प्रदर्शक होता है ! एक संबुद्ध सदगुरु की जो विशेषताएँ होती है वह है –
1. आध्यात्मिक ज्ञान एवं बुद्धिमत्ता
2. निःस्वार्थ प्रेम बाँटने वाला
3. शांत ही नहीं प्रशांति को प्राप्त किया हुआ हो
4. सहनशीलता तथा भावपूर्ण
5. दूसरों को प्रेरित करने की और सन्मार्ग पर आगे बढ़ाने की कला से पूर्ण !
6. आध्यात्मिक सीढ़ी की चरम अवस्था को प्राप्त किया हो !
आध्यात्मिक गुरु हर संप्रदाय में होते है चाहे वह हिंदू ,बुद्ध धर्म ,जैन धर्म , सिख धर्म या अन्य सभी धर्म – वह भाँति भाँति से अपने शिष्यों को अध्यात्म पथ पर आगे ले जाने का प्रयास करता है
1. सत्संग के माध्यम से
2. योग एवं ध्यान के माध्यम से
3. कर्म कांड एवं पूजा पद्धति द्वारा
4. स्वयं के गाइडेंस में रखते हुए नवीन पद्धति का प्रयोग सिखाना
5. आध्यात्मिक प्रवचन और ज्ञान से आलोकित करना
सारांश यही है कि गुरु के पथ प्रदर्शन के बिना अध्यात्म पथ पर सफलता प्राप्त करना असंभव है! गुरु है तो ज़िंदगी शुरू है! जीवन का नया मोड़ होता है जब गुरु के चरणों में बैठने का अवसर प्राप्त होता है !
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