श्रीमद भगवद गीता में से अनमोल कृष्ण सन्देश | आत्मचिंतन के सूत्र | Sudhanshu Ji Maharaj

श्रीमद भगवद गीता में से अनमोल कृष्ण सन्देश | आत्मचिंतन के सूत्र | Sudhanshu Ji Maharaj

श्रीमद भगवद गीता में से अनमोल कृष्ण सन्देश

श्रीमद भगवद गीता में से अनमोल कृष्ण सन्देश

भगवान श्री कृष्ण का अर्जुन को कहते हैं- अंतकाले च मामेव स्मरन्मुक्त्वा कलेवरम् । यः प्रयाति स मद्भावं याति नास्त्यत्र संशयः ॥
हे अर्जुन, जीवन के अंत में ,शरीर का त्याग करते समय जो प्रभु का स्मरण करता है वह मुझे ही प्राप्त होता है।

यं यं वापि स्मरन्भावं त्यजत्यन्ते कलेवरम् । तं तमेवैति कौन्तेय सदा तद्भावभावितः ।।
हे अर्जुन शरीर का त्याग करते समय जैसा भाव है ,जैसा स्मरण है उसी भाव को वह प्राप्त होता है ‌।

तस्मात् सर्वेषु कालेषु माम् अनुस्मर युध्य च मय्यर्पितमनोबुद्धि माम् एव एष्यसि असंशयः …

इसलिए अर्जुन,समस्त समय ,सदैव प्रभु का स्मरण करें और हर संग्राम में प्रभु से संलग्न रहे। अपना मन, बुद्धि मुझे अर्पित करें वह मुझे ही प्राप्त होगा।

भगवान आगे कहते हैं

अभ्यासयोगयुक्तेन चेतसा नान्यगामिना। परमं पुरुषं दिव्यं याति पार्थानुचिन्तयन्।।

अर्जुन, अविचल भाव से मेरा जो ध्यान करता है, उसकी भक्ति सफल होती है और वह मुझे ही प्राप्त होता है।

अनन्यचेता: सततं यो मां स्मरति नित्यश: । तस्याहं सुलभ: पार्थ नित्ययुक्तस्य योगिन: ।।
जो अनन्य भाव से मेरा नित्य स्मरण करें उसके लिए परमात्मा की प्राप्ति सरल होती है लेकिन इसके लिए वह योगी होना चाहिए।

परमात्मा से नित्य जुड़े रहे। श्वास श्वास में परमात्मा का नाम जपें । दिन की शुरुआत में भी उसका स्मरण करें। कार्य में भी परम शक्ति साथ है इसका एहसास करें ,अनुभूति करें। मंत्र सिद्धि से यह अनुभूति होती है।

जब आप पूरी ऊर्जा लगाते हो,तब परमात्मा सहारा देता है। मनसे अपंग ना हो। मन से अपंग है तो कोई भी शक्ति नहीं देता ‌। इसलिए मन से तंदुरुस्त बनो।

मुसीबतों में निखरना है बिखरना नहीं। आप बड़े हो और समस्या छोटी है, इसलिए डरे नहीं।

इंसान से बड़ा कोई नहीं है। इंसान की बुद्धि और क्षमता का मुकाबला कोई नहीं।

अपनी शक्ति को जगाना सीखो, तब भगवान कहते हैं मैं साथ दूंगा, तुम्हें गिरने नहीं दूंगा।

भाव तरंगों से दुनिया के मालिक से जुड़े। तल्लीन होना, सुध बुध खो जाए। भावविभोर होकर की गयी पूजा भगवान तक पहुंचती है और उससे कृपा आती है।

भक्ति का भी मूड बनाए। पूजा करने से पहले भगवान के वरदान, करुणा और देन याद करें।

अपनी डायरी में ऐसी 10 चीजे लिखे जिसके लिए आप परमात्मा के कृतज्ञ रहते हो। कृतज्ञता भाव लेकर भगवान के सामने जाए।

चित्त निर्मल, कोमल हो, प्रार्थना के बाद सबके लिए मंगल कामना करना। तब वरदान सुखदाई बनेगा। दूसरे से आप जले नहीं तो प्रसन्नता और आनंद कायम रहेगा। अपनी जिंदगी को स्वर्ग बनाओ।

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