अक्षय तृतीया – धन-धान्य, आयु, यश को अक्षय बनाने का दिन |

अक्षय तृतीया – धन-धान्य, आयु, यश को अक्षय बनाने का दिन |

अक्षय तृतीया - धन-धान्य, आयु, यश को अक्षय बनाने का दिन

अक्षय तृतीया : धन-धान्य, आयु, यश को अक्षय बनाने का दिन

भारतीय पर्व परम्परा में अक्षय तृतीया का विशेष महत्व है। वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया अक्षय तृतीया नाम से मान्य है। इस वर्ष 3 मई मंगलवार को पड़ने से इसकी विशेष महत्ता है। मांगलिक शुभ कार्य के लिए यह विशिष्ट मुहूर्त दिवस है।

 हिन्दू धर्म ग्रंथों में इस तिथि का भिन्न-भिन्न महत्व है।

  1. मान्यता है कि विष्णु के छठे अवतार परशुराम का जन्म अक्षय तृतीया के दिन हुआ था।
  2. इसी दिन मां गंगा स्वर्ग से धरती पर पधारी थीं।
  3. माँ अन्न्पूर्णा का जन्मदिन अक्षय तृतीया को होने से इसे अक्षय माना गया।
  4. इसीदिन महर्षि वेद व्यास जी ने महाभारत लिखना शुरू किया।
  5. भगवान विष्णु जी के छठवें अवतार भगवान श्री परशुराम जी के अवतरण दिवस भी इसी दिन हुआ था। वैसे भगवान परशुराम विष्णु के अवतार माने जाते हैं और उन्हें आज भी अमर माना जाता है। उनके संकल्प में सृष्टि को सज्जनों के, शुभ के योग्य बनाने का संकल्प था, जिसे आज तक अक्षय तृतीया मनाकर याद किया जाता है।

लेकिन यह दिन सौभाग्य, अक्षय कृपा, वरदान, शुभत्व का दिवस है। इस दिन को पूर्णता का दिन भी कहा जाता है। इसीलिए हर मांगलिक कार्यों का शुभारम्भ लोग इसी दिन करते है। गहरी साधना में रुचि रखने वाले साधक इस दिन अपनी साधना-अनुष्ठान का शुभारम्भ करते हैं।

कृषि कार्य का शुभारम्भ

ग्रामीण समाज इस दिन अपने कृषि कार्य का शुभारम्भ करता है जिससे देश को अक्षय अन्न भण्डार से भरा जा सके। पंजाब प्रांत इस दिन को मौसम परिवर्तन का दिन मानता है। उड़ीसा प्रांत में इसी अक्षय तृतीया से भगवान जगन्नाथ की रथयात्र प्रारम्भ होती हैं, जिसमें लाखों नर-नारी भागीदारी करते हैं।

उपवास रखने, भगवान विष्णु व माँ लक्ष्मी की पूजा अर्चना का विधान

इस दिन उपवास रखने, भगवान विष्णु व माँ लक्ष्मी की पूजा अर्चना का विधान है। अक्षय सौभाग्य, अक्षय जीवन की प्रार्थना के साथ इस अवसर पर लोग अपने पास जो भी कुछ अन्न-धन आदि वर्षभर में शेष बचता है उसे वर्ष का अक्षय मानकर परमात्मा को अर्पित करते हैं। इस दिन अपनी सामर्थ्य अनुसार दान करने की यह परम्परा है, दानी को परमात्मा वर्ष भर धन-धान्य-शक्ति से भरापूरा करता है।

छोटे से छोटे दान का भी बड़ा महत्व

इस दिन छोटे से छोटे दान का भी बड़ा महत्व है। मान्यता है कि जो भी कुछ इस दिन दान में दिया जाता है वह अक्षय हो जाता है। यदि गुरु आश्रम व गुरु निर्देशित सेवा कार्यों में इस दिन योगदान दिया जाता है, तो जीवन में आया धन, यश, पद, प्रतिष्ठा का स्वतः आगमन होने लगता है। आइये! यह दिवस मनायें धन, आयु, यश को अक्षय बनायें।

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