आत्मचिंतन के सूत्र: | अपनी स्वयं की छवि पर चिंतन करें और उसका नवनिर्माण करें! | Sudhanshu Ji Maharaj

आत्मचिंतन के सूत्र: | अपनी स्वयं की छवि पर चिंतन करें और उसका नवनिर्माण करें! | Sudhanshu Ji Maharaj

अपनी स्वयं की छवि पर चिंतन करें और उसका नवनिर्माण करें!

चिंतन करें और उसका नवनिर्माण करें!

अपनी स्वयं की छवि पर चिंतन करें और उसका नवनिर्माण करें!

अपनी आँखें बंद करो और अपने मन की आँखों से खुद की कल्पना करो और अपना एक चित्र बनाओ। आप किस चित्र की कल्पना करते हैं? आप किस प्रकार के व्यक्ति हैं? आपकी क्षमताएं क्या हैं? आप क्या कर सकते हैं? आप कितने साहसी हैं? उसका नवनिर्माण करें!

सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण! अपने दोनों हाथों को अपने दिल पर रखें और अपने आप से कहें- मैं उससे कहीं ज्यादा हूं जो आंखों को दीखता हूँ! इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि मैं और भी बहुत कुछ बन सकता हूं। बार-बार खुद से इसकी पुष्टि करते रहें।

आपको भी अपने लिए एक ‘सपना’ देखना चाहिए। अपनी क्षमता बढ़ाने के बारे में सोचें! सूर्य के समान बनो! सूरज की बराबरी कोई नहीं कर सकता!  कोई भी सूरज की आंखों में देखने की हिम्मत नहीं करता! कल्पना करो की आप सूर्ये के सामान तेजस्वी हो!

आप पद से नहीं, अपनी योग्यता से जानें जाते हैं!

याद रखें कि अगर किसी को पद विरासत में मिलता है और अगर वह योग्य नहीं है, अगर वह खुद को साबित नहीं करता है, तो उसका पद टिकेगा नहीं! स्थिति बदल जाएगी और उसे पदावनत कर दिया जाएगा।

अपने साहस, दृढ़ता और निरंतर प्रयास के कारण कमल का फूल न केवल खिलता है, बल्कि वह कीचड से ऊपर उठकर उस दलदल का आकर्षण बनता है! तो आप भी खिलो! उठो और उस जगह की सुंदरता बनो जहां आप हो! उस जगह की सुंदरता को और अधिक आकर्षक बनाते हुए, उस जगह को तुम्हारे नाम से जाना जाए, तुम्हारे माता-पिता को तुम पर गर्व हो!

सकारात्मक चिंतन करो! अपने गुरु के वचनों को अपने ह्रदय में धारण करो और अपनी छवि का पुनः नवनिर्माण करो!

1 Comment

  1. Suresh Chandra Sharma says:

    Param Poojya Sadguru Maharaj ke paawan charanon me saadar naman

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *