सर्वअंतर्यामी प्रभु! श्रद्धाभरा हमारा प्रणाम स्वीकार कीजिए। | Prayer | Sudhanshu Ji Maharaj

 सर्वअंतर्यामी प्रभु! श्रद्धाभरा हमारा प्रणाम स्वीकार कीजिए। | Prayer | Sudhanshu Ji Maharaj

Prayer | प्रार्थना

 सर्वअंतर्यामी प्रभु! श्रद्धाभरा हमारा प्रणाम स्वीकार कीजिए।

दयानिधान, कृपानिधान, सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापी, सर्वअंतर्यामी प्रभु श्रद्धभरा हमारा प्रणाम स्वीकार कीजिए। अनेक-अनेक नाम हैं आपके, अनेक-अनेक तरीके से, अनेक-अनेक ढंग से, अनेक-अनेक विधियों से लोग आपको पुकारते हैं।
आपका ध्यान करते हैं, आपको भजते हैं। जिस भी नाम से, जिस भी भाव से, जिस भी तरीके से अपने हृदय को, अपने चित्त को व्यक्ति आपसे संयुक्त करता है। आपकी कृपाधारा उसकी ओर बहने लगती है। हे दयानिधान हम आपसे प्रार्थना करते हैं।
मूल्यवान जीवन को हम मूल्यवान बना सकें, हमारे विचार पवित्र हों, चिंतन अंच्छा हो, कर्म अच्छे हों, प्रत्येक क्षण को हर पल को हम अच्छा बना सकें। सुनियोजित तरीके से जीवन को जी सकें, सद्बुद्धि प्रदान करो।
आनंदित रहें, प्रसन्न रहें, प्रेमपूर्ण रहें, मुस्कुराते हुए हर दिन का स्वागत करें। अपने कर्तव्य कर्मों को खुबी से निभायें। सक्षम और समर्थ बनकर जियें। शरीर स्वस्थ हो, मन में शांति, हृदय में प्रेम, हाथों में कर्म करने की क्षमता सदा बनी रहे।
और जब तक इस संसार में हम रहें किसी पर भी निर्भर होकर न जियें, स्वयं पर निर्भर रहें। प्रभु हमें वो क्षमता प्रदान करो। स्वस्थ रहें, निरोग रहें, प्रसन्न रहें, शांत रहें, आनंदित रहें। आपके द्वारा दी गई देन को पाकर अहंकारग्रस्त न हों।
विनम्र बने रहें। धन-धान्य, समृद्धि में, अभ्युदय में निरंतर आगे बढ़ें। लेकिन प्रभु आपकी भक्ति को, आपके प्रेम को अधिक से अधिक प्राप्त कर सकें। जीवन को सफल बना सकें। अपने सभी फर्ज, अपने सभी कर्त्तव्य हम निभा सकें।
हमें आशीष दीजिए। आपके दर पर आये हुए सभी भक्तों का कल्याण कीजिए। हमारी विनती को, प्रार्थना को स्वीकार करें प्रभु।

शांति शांति शांतिः

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