धर्म से संबंधित 10 प्रश्न जो सोच को चुनौती देते हैं | Sudhanshu Ji Maharaj

धर्म से संबंधित 10 प्रश्न जो सोच को चुनौती देते हैं | Sudhanshu Ji Maharaj

धर्म से संबंधित 10 प्रश्न जो सोच को चुनौती देते हैं

धर्म से संबंधित 10 प्रश्न जो सोच को चुनौती देते हैं

1. धर्म क्या है ?

ज्यादातर लोग धर्म को पूजा-पाठ से जोड़कर देखते हैं, जबकि पूजा-पाठ धर्म नहीं एक क्रिया है।

धर्म की सही व सटीक परिभाषा है, लोगों को खुशी देना। परोपकार करना, लोगों पर दया करना, गरीबों व जरूरतमंदों की मदद करना और वह भी बगैर किसी प्रचार के। किसी की मदद करके उसका प्रचार किया तो वह धर्म नहीं कर्म की श्रेणी में आ जाता है। सच्चा धर्म मानव सेवा है और वह भी ऐसी कि एक हाथ से करो, तो दूसरे तक को पता ना चले।

2. क्या धार्मिक आयोजन में शिरकत करने के मन साफ व शुद्ध हो सकता है?

 जरूर होता है। संतवाणी और संतों की वाणी का श्रवण करने से विकारों का नाश होता है। अच्छी जगह और अच्छे लोगों की संगत से अच्छी बुद्धि आती है, जो मनुष्य को गलत काम करने से रोकती है और गलत काम करने से वही व्यक्ति परहेज करेगा जिसका मन साफ व शुद्ध हो

3. भागवत, रामायण या प्रवचन सुनने मात्र से परमात्मा को पाया जा सकता है?

 एकाग्रतापूर्वक भागवत, रामायण या प्रवचन सुनने से तनाव से मुक्ति मिलती है। मनुष्य पापाचार के रास्ते पर चलने के बजाए सदाचार के पथ पर आगे बढ़ता है। भागवत और रामायण की कथा में सच्चाई के पथ पर चलने वालों के अनेक उदाहरण है। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि श्रोता इनमें से किसी एक को अपना आदर्श मान ले तो परमात्मा के करीब पहुंच सकता है।

4. स्वर्ग और मोक्ष में कौन सर्वश्रेष्ठ है?

                   सनातन धर्म में मोक्ष को स्वर्ग से भी ऊंचा स्थान प्राप्त है।

5. मोक्ष का सटीक मार्ग क्या है?

मोक्ष शब्द जितना छोटा है इस पर चलने का मार्ग उतना ही बड़ा है। मोक्ष माने संसार में आवागमन से छुटकारा। मोक्ष और आवागमन से छुटकारा पाने का रास्ता है अपने आपको पूरी तरह से परमात्मा को समर्पित करना। अपनी अर्जी यानी इच्छाओं को दरकिनार करते हुए परमात्मा की मर्जी में जीना। जिस किसी ने भी परमात्मा की मर्जी से जीना सीख लिया उसका मोक्ष निश्चित है।

6. मनुष्य मात्र का कल्याण कैसे संभव है?

इस भौतिकवादी युग में ध्यान और ज्ञान से ही कल्याण संभव है। मनुष्य को ध्यान ईश्वर का करना चाहिए और ऐसा ज्ञान अर्जित करना चाहिए जो विनाशकारी नहीं, बल्कि विकासकारी हो।

7. समाज की मौजूदा स्थिति यानी आडंबर और दिखावे पर आप का क्या कहना है ?

 मैं निजी तौर पर दिखावे और आडंबर के खिलाफ हूं, लेकिन जमाना ऐसा आ गया है कि हर सांसारिक व्यक्ति दिखावे के पीछे पागल है। जैसे आत्मविश्वास अच्छी बात है और अति आत्मविश्वास ठीक नहीं, वैसे ही प्रदर्शन यानी दिखावे को कुछ हद तक सही कहा जा सकता है, लेकिन अति दिखावा सरासर गलत है।

8. ऐसा क्या किया जाए कि देश में अमन और शांति कायम हो जाए ?

आपसी भाईचारा और प्रेम से ही देश में अमन और शांति कायम हो सकती है। जनता हो या नेता जब तक निजी लाभ-हानि को महत्व देते रहेंगे तब तक देश में अमन और शांति कायम नहीं हो सकती।

9. ईश्वर से संचार का माध्यम क्या है ?

ईश्वर से संचार का माध्यम प्रार्थना है

केवल तीन वाक्य अपनी प्रार्थना में शामिल कीजिए, तथा उन्हीं के अनुसार आचरण कीजिए चमत्कार हो जाएगा।

  •         हे ईश्वर मुझे ऐसी शक्ति दो कि मैं उन चीजों को अपने जीवन में स्वीकार कर सकूं, जिन्हें मैं बदल नहीं सकता।
  •         उन चीजों को बदलने का साहस मुझे दो, जिनको मैं बदल सकता हूं।
  •         उन दोनों चीजों की समझने को बुद्घि भी दो कि कौन-सी बदल सकता हूं और कौन सी नहीं बदल सकता।

10. दुःखों से कैसे बचें ?

पुरुषार्थ करें, परिश्रम करें, इसके साथ-साथ यह ध्यान रखें कि हमारी आदतें कैसी हैं, अपनी आदतों को अच्छा बनाएं, खोखला करने वाली दीमक से बचकर रहें, बेवजह चिन्ता, भय, निराशा, अवसाद में न जियें ।

अपने अन्दर प्रेम, प्रसन्नता, उत्साह को जीवित रखें, नियमित और अनुशासित रहें, समय की कीमत को समझें, काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या पर काबू पाएं, सुख-आनन्द आने लगेगा।

 

2 Comments

  1. Arvind kumar chandigarh says:

    True Weapon to Live pleasant Life

  2. ANIL KUMAR says:

    क्या शनीदान लेने वाले डिकॉट को अन्य प्रकार के दान लेने का अधिकार है? जैसे अमावस्या का दान, पूर्णिमा का दान, अन्य त्योहारों का दान। मेरे ज्ञान के अनुसार नही ले सकते।

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