पूर्वजों के श्राद्ध से अधिक महत्वपूर्ण है अपने जीवित बड़ों के प्रति श्रद्धा! | श्रद्धा पर्व | Sudhanshu Ji Maharaj

पूर्वजों के श्राद्ध से अधिक महत्वपूर्ण है अपने जीवित बड़ों के प्रति श्रद्धा! | श्रद्धा पर्व | Sudhanshu Ji Maharaj

श्रद्धा पर्व

श्रद्धा पर्व

पूर्वजों के श्राद्ध से अधिक महत्व है अपने जीवित बड़ों के प्रति श्रद्धा!

श्रद्धा पर्व का प्रारंभ सदगुरूदेव ने समाज में सम्मानीय वृद्ध नागरिकों के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने के लिए किया था जो आज विश्व जागृति मिशन के हर शाखा में अति उत्साह के साथ मनाया जाता है !

प्रत्येक वर्ष २ अक्टूबर को श्रद्धा पर्व मनाया जाता है! इस उज्वल रीती के अनुसार आज का पर्व समर्पित है उन माता पिता को जिन्होंने हमे जन्म दिया , हमारा पालन पोषण किया! हमे पढ़ा लिखाकर इस योग्य बनाया कि हम समाज मे प्रतिष्ठित पद को पा सके!

उन माता पिता के ऋणों से हम उरण तो नही हो सकते परंतु कुछ तो कर सकते है ! हम अपने माता पिता का सम्मान करें ,इस दिन उनके साथ अधिक से अधिक समय व्यतीत करें! उनको कही बाहर घूमाने ले जाएं ,उन्हें अच्छा भोजन कराएं, उपहार दें या उनकी पसंद की कोई वस्तु उन्हें भेंट करें जिसके माध्यम से हम अपना प्रेम अभिव्यक्त कर सकते है !

प्रत्येक दिवस ही श्रद्धा पर्व होना चाहिए!

पूज्य महाराजश्री का निवेदन है की गुरु शिष्यों का प्रत्येक दिवस ही श्रद्धा पर्व होना चाहिए! धन्यवाद करें अपने पूर्वजों का जिन्होंने हमे अध्यात्म के मार्ग पर चलना सिखाया ‘जिन्होंने हमे गुरु से जोड़ा! गुरू के पथ पर अग्रसर किया! क्योकि शांति का मार्ग तो यही से आरम्भ होता है !

पूज्यश्री यही कहते हैं! कि अपनी संतान को धन का वारिस बनाने से पहले धर्म का वारिस बनाओ मतलब धन तो मिल ही जायेगा ! परंतु धर्म भी जीवन मे जुड़ा रह सके यह ज्यादा महत्वपूर्ण है !

इसी श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए गुरुदेव ने आह्वाहन किया है! “परिवार जोड़ो अभियान‘ का! अर्थात जो लोग अपने गुरु से जुड़े हुए हैं! वह अपनी अगली पीढ़ियों को भी गुरु भक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दे क्योकि हमारे बुज़ुर्ग जब नही रहेंगे तब आगे उनके बच्चे इस धर्म की पताका को आगे लेकर् चल सकेंगे- यह क्रम टूटना नही चाहिए !

आज का युग इतना विकृत हो गया है कि छोटी आयु के बच्चे भी गलत दिशा में जाते हुए दिखाई दे रहे हैं इसलिए किशोर अवस्था से ही उन्हें अध्यात्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देनी चाहिए !

हम सभी आभारी हैं गुरुदेवके जिन्होंने हमे श्रद्धा पर्व के माध्यम से नई दिशा दी है! , अपने माता पिता का सम्मान करना सिखाया ओर युवा पीढ़ी को इससे नई प्रेरणा मिली !

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *