भक्ति की दौलत में निरंतर वृद्धि लाना चाहते हो तो इन सूत्रों को स्मरण कीजिये! | Sudhanshu Ji Maharaj | आत्मचिंतन के सूत्र:

भक्ति की दौलत में निरंतर वृद्धि लाना चाहते हो तो इन सूत्रों को स्मरण कीजिये! | Sudhanshu Ji Maharaj | आत्मचिंतन के सूत्र:

भक्ति की दौलत में निरंतर वृद्धि लाना चाहते हो तो इन सूत्रों को स्मरण कीजिये!

भक्ति की दौलत में निरंतर वृद्धि लाना चाहते हो तो इन सूत्रों को स्मरण कीजिये!

भक्ति की दौलत में निरंतर वृद्धि लाना चाहते हो तो इन सूत्रों को स्मरण कीजिये!

भक्त की सबसे बड़ी भक्ति की दौलत है! उसकी भक्ति! भक्त की सबसे बड़ी शक्ति है उसकी भक्ति! यह भक्ति आपको परमात्मा की निकटता प्रदान करती है! और इसलिए इसमें वृद्धि निरंतर होनी चाहिए! भक्ति को अधिक सुदृढ़ बनाना है तो नियमित हो जाइये!

भक्ति का अर्थ है! प्रभु से निकटता बनाना। यदि हम बाहरी कर्मकांड में ही उलझे रह गये तो भक्ति सफल नहीं हो पाएगी। इसलिए जितनी देर भी भक्ति में बैठो, अपना आपा भुला देना और प्रभु की गोद में बैठा हुआ स्वयं को महसूस करना! आप दो कदम प्रभु की और बढ़ायेंगे, वह चार कदम आगे बढ़कर आपको सँभाल लेंगे!

अपनी भक्ति को सफल बनाना

अगर आप अपनी भक्ति को सफल बनाना चाहते हैं तो दूसरा बिंदु आता है! -निरंतरता यानी आपकी भक्ति का नियम कोई तोड़ न सके। आँधी, तूफ़ान, मौसम, सर्दी, गर्मी कुछ भी आपकी भक्ति को प्रभावित न कर सके। तभी आपकी भक्ति सफल होगी!

यदि आपका स्वास्थ्य ठीक नहीं भी हो, बैठ नहीं सकते, तो लेटे लेटे ही अपना जाप का नियम पूरा करें परंतु करना अवश्य है!

जिस प्रकार भगवान शिव की पिंडी पर लगातार गिरती हुई जल धारा – जो इस बात का प्रतीक है कि चाहे बूँद बूँद ही सही अविरल प्रवाह होना चाहिए – भक्ति का नियम लगातार चलता रहना चाहिए!

जब भक्ति में गहरायी आने लगती है! तो व्यक्ति स्वयं ही नियमित हो जाता है! अपने समय पर तैयार होकर मंदिर में बैठ जाएं अपने प्रभु को पुकारें! जिस प्रकार समय पर आपको भूख लगती है, नींद आती है, यह सब प्राकृतिक रूप से होता रहता है – उसी प्रकार जब साधक को भक्ति का भूख ही नहीं प्यास जाग जाए तो जीवन में चमत्कार घटित होते हैं!

इसलिए निवेदन यही है! कि अपना आपा अपने गुरु को सौंप दो! गुरु कृपा से बहुत बड़ा चमत्कार घटित होता है! भक्ति में मन लगना आसान नहीं क्योंकि यह मन तो बंदर की तरह उछलता कूदता रहता है सांसारिक भोगों के लिए! जब गुरु अपनी कृपा की किरणें शिष्य के मस्तक पर प्रवाहित करते हैं तो स्वयं ही मन सात्विक हो जाता है!

भक्ति की दौलत को लगातार बढ़ाते जाएं

इस मन को नियंत्रण की रस्सी से बांधना सीखे। गुरु मंत्र का जाप अत्यधिक सहायक होता है!  इसलिए जब कोई शिष्य गुरु दीक्षा लेता है तो बहुत तीव्रता से आध्यात्मिक प्रगति होती है! यदि इस लगन को निरंतर बनाये रखें तो आप साधारण से असाधारण हो जाते हैं!

इसलिए सार यही कि अपनी भक्ति की दौलत को लगातार बढ़ाते जाएं! यह पूँजी ही लोक भी सुधारेगी और परलोक भी! नियमित हों, अनुशासित हों, कोई भी बाधा आपके नियम को विचलित न कर सके!

जब साथ हो सद्गुरू का आशीष! जीवन प्रकाशित हो जाएगा, आनंदित हो जाएगा। एक सफल जीवन बन सकेगा और आप परमात्मा की अनन्य कृपाओं के पात्र बन सकेंगे !

3 Comments

  1. Kamaljit Girdhar says:

    Parnam Gurudevji apkey charno mey koti koti Naman

  2. भगवन नाम का कीर्तन सरलता से करेंगे तब परम धाम सुखरूप पहुंच जाएंगे।
    ॐ गुरुवे नमः।

  3. Susham lata says:

    Gùŕu ji ki kripa hamesha being ŕàhe hamm par

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