परम सत्य हैं शिव | आत्मचिंतन के सूत्र: | Sudhanshu Ji Maharaj | Atmachintan

परम सत्य हैं शिव | आत्मचिंतन के सूत्र: | Sudhanshu Ji Maharaj | Atmachintan

परम सत्य हैं शिव

परम सत्य हैं शिव

परम सत्य हैं शिव

सत्य ही शिव है : शिव ही सुंदर है – पूरी प्रकृति शिव का ही रूप है – भगवान शिव से बढ़कर संसार में कुछ भी नहीं ! परम सत्य हैं वह ! देवों के देव हैं महादेव और इनको प्रसन्न करने के लिए आवश्यक है निष्काम भक्ति!

हमारे शास्त्रों में त्रिदेवों को वर्णन आता है! – ब्रह्मा , विष्णु और महेश अर्थात् शिव अर्थात् करता धर्ता और संघरता! सभी की अपनी महिमा है! परंतु भगवान शिव जो पूरी सृष्टि को सम्भाले हुए हैं ,अद्वितीय हैं!

भगवान शिव की आराधना

कहा जाता है! हिमालय के शिखर पर अपनी साधना में लीन विराजमान हैं शिव जिनकी जटा से गंगा की धारा निकल रही है! संपूर्ण जगत को अपनी तीसरी आँख में संजोए हुए हैं!

भगवान शिव की आराधना करने से, तप से जो फल प्राप्त होता है उसकी व्याख्या नहीं की जा सकती!  इसी लिये जब मृत्यु शैय्या पर कोई आ जाये अथवा भयंकर रोग से ग्रस्त हों जाये तब भगवान का महाम्रतुंजय मंत्र चमत्कारी सिद्ध होता है!

इस मंत्र को मृत संजीवनी मंत्र भी कहते हैं! जब इसका गायत्री मंत्र के साथ संपुट बनाकर जाप किया जाये!  यह अनुष्ठान साधारण नहीं होता : श्रद्धा भाव से और पूरी तरह समर्पित होकर जब इसका जाप किया जाता है तो वह ब्रह्मांड से आती हुई तमाम नकारात्मक ऊर्जाओं को नष्ट कर देता है और स्वास्थ्य लाभ मिलता है ,सफलता मिलती है!

शिवरात्रि का पर्व भगवान के लिए विशेष रूप से मनाया जाता है! , इस दिन सभी श्रद्धालु भक्त पूरी तरह विह्वल होकर व्रत करते हैं , जप करते हैं! , शिवलिंग पर दूध , बेलपत्र तथा अनेक सामग्री प्रसाद रूप में अर्पित करते हैं , रात्रि तक भजन पूजन के साथ आनंद मनाते हुए इसका समापन होता है!

भगवान शिव ओघड़ दानी हैं

कहा जाता है भगवान शिव ओघड़ दानी हैं!  जो इनके दर पर झोली फैलाकर जाता है! , उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण करते हैं : द्वादश ज्योतिर्लिंगों के रूप में हमारे देश के विभिन्न स्थानों पर श्रद्धा भाव से भक्तों का समूह पहुँचता है : हर ज्योतिर्लिंग की अलग महिमा है !

कहते हैं! भगवान शिव अति शीघ्र प्रसन्न होते हैं! ,दूध , वेलपत्र , धतूरा यह सब भगवान को प्रिय है! पर यदि आप कुछ भी सामग्री लेकर ना जाओ मात्र अपने अश्रुओं का जल ही भगवान को अर्पित कर दो! क्षमा प्रार्थना करते हुए अपनी भूलो के लिए  तो भोले भंडारी उतने से ही रीझ जाते हैं और आशीर्वाद से झोलियाँ भर देते हैं!

महाम्रातुंज्य मंत्र तथा पंचाक्षरी मंत्र “ओम नमः शिवाय “ का जाप परम कल्याणकारी है ,दैहिक , दैविक , भौतिक सभी तापो को नष्ट करके जीवन को आनन्दमय बनाता है:: शिव के सत्य स्वरूप का ध्यान करो : जीवन में कल्याण ही कल्याण है! ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय !

आत्मचिंतन के सूत्र:

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