आत्मचिंतन के सूत्र: | क्रोध पर नियंत्रण पाने के कुछ सूत्र | Sudhanshu Ji Maharaj

आत्मचिंतन के सूत्र: | क्रोध पर नियंत्रण पाने के कुछ सूत्र | Sudhanshu Ji Maharaj

क्रोध पर नियंत्रण पाने के कुछ सूत्र

क्रोध पर नियंत्रण पाने के कुछ सूत्र

क्रोध पर नियंत्रण पाने के कुछ सूत्र

क्रोध का उपयोग अन्याय के विरुद्ध लड़ने के लिए करें। इसका दुरुपयोग कर के अपना और दूसरों का नुक्सान न करें। जिस प्रकार चुहले की अग्नि भोजन बनाये तो ठीक है! लेकिन वही अग्नि अगर घर जला डाले तो उससे सभी का नुकसान होगा।

जब क्रोध का पहला वेग आता है! तो कान गर्म होने लगते हैं, फिर भृकुटि तन जाती है, नासिका फूलने लगती है और फिर व्यक्ति दांत पीसने लगता है! इसके उपरान्त कंधे में फिर बाँहों में फिर नाखून में फिर पैर में क्रोध का प्रभाव आता है।

अतः जब कान में क्रोध की अग्नि भड़कने लगे उसी समय पानी पी कर अपने मन को काबू में करते हुए नियंत्रण करें। ऐसा करने से आप एक बहुत बड़े अनर्थ होने से रोक लेंगे।

क्रोध की सिमा रेखा है

क्रोध की सिमा रेखा है! काम की सिमा रेखा है लेकिन लोभ और मोह की कोई सिमा रेखा नहीं होती।अतः अपने आपको सभी तरह के विकारों से बचाने का प्रयास करें।

कैसे भी विचार में क्रोधाग्नि बढ़ने न दें! ना किसी शुभ के बारे में ना किसी अशुभ के बारे में; ना लाभ में ना हानि के बारे में, ना किसी के पक्ष में ना विपछ में! सभी तरह के द्वन्दों से ऊपर उठ जाओ तभी तुम सभी दुखों से छूट पाओगे।

गलत के विरोध में आवाज़ उठाना

गलत के विरोध में आवाज़ उठाना आना चाहिए बिलकुल जिस प्रकार विभीषण ने रावण के दरबार में रावण का विरोध किया था। जो हमेशा कमजोर का साथ दे और अन्याय का विरोध करे वो भक्त है। जो भक्त होता है वो अन्याय का विरोध तो करता है क्रोध भी करता है लेकिन अपने मन में ईर्ष्या द्वेष और क्रोध को स्थिर नहीं होने देता। मन को क्रोध से रिक्त करना, प्रेम और आनंद से पूर्ण करना ही भक्ति है।

आत्मचिंतन के सूत्र:

1 Comment

  1. Sanatan Behera says:

    So nice explanation

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