हे करुणासिंधु अपने प्रेम के नियम में चलाना यही प्रार्थना है। | Parayer | Sudhanshu Ji Maharaj

हे करुणासिंधु अपने प्रेम के नियम में चलाना यही प्रार्थना है। | Parayer | Sudhanshu Ji Maharaj

हे करुणासिंधु अपने प्रेम के नियम में चलाना यही प्रार्थना है।

हे करुणासिंधु अपने प्रेम के नियम में चलाना यही प्रार्थना है।

हे करुणासिंधु अपने प्रेम के नियम में चलाना यही प्रार्थना है।

हृदय के भाव जो आप अपने प्रभु से कहना चाहते हैं वह प्रार्थना में कहिए! हे आनंद के सागर, हे पूर्ण प्रेम स्वरुप, करुणासिंधु मेरा प्रणाम स्वीकार करो प्रभु! सब जगह आप हो सर्वत्र और सब में आप विराजमान हो आपही की मुस्कान तो फूलों में है

आप ही की चमक चांद सितारों में है! आप ही गति करते हैं इन हवाओं में हमारे प्राण में आप ही धड़काते हो हमारे हृदय को
सर्वत्र आप हो प्रभु आनंत नामों से मनुष्य पुकारता है आपको फिर भी आपका कोई नाम नहीं सब रिश्तें आपसे हैं प्रभु सब रुपों में आप ही तो हो
हमें स्वीकार कीजिए प्रभु!

हम जीव इस संसार में जिन कर्म के बंधन में बंधकर ये देह धारण करके आए और जो भी भुगतान हेम इस दुनिया में करना है उस सबसे हम निर्मल हो जाए शुद्ध हो जाए आगे की यात्रा हमारी शुद्ध यात्रा, पवित्र यात्रा प्रेम और आनंद की शांति की यात्रा हो हमारा हाथ पकड़े रखना!

भगवान अपने प्रेम के नियम में चलाना, अपने आकर्षण से बांधना कृपा करना अपना नाम जपाना अपने प्यारों की संगत देना भगवान तन से, मन से, धन से , इस संसार में उपयोगी बन सके, सहयोगी बन सके और हमारी प्रतिभा का आपके मार्ग में ठीक ढंग से उपयोग हो सके आशीष दो विनती को स्वीकार करना प्रभु!

ॐ शान्तिः शान्ति शान्तिः ॐ ॥

प्रार्थना , prayers, prayer , Sudhanshu Ji Maharaj

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