आत्मचिंतन के सूत्र: | जीवन में शुभता कैसे आये | Sudhanshu Ji maharaj

आत्मचिंतन के सूत्र: | जीवन में शुभता कैसे आये | Sudhanshu Ji maharaj

जीवन में शुभता कैसे आये

जीवन में शुभता कैसे आये

जीवन में शुभता कैसे आये

मनुष्य योनि बहुत जन्मों के बाद प्राप्त हुई है| इसका भरपूर उपयोग करना हमारा कर्तव्य है क्योकि जो कुछ हम यहाँ प्राप्त कर सकते हैं ,कही और नहीं  ! हमारा जीवन शुभ हो , मंगलमय हो इसके लिए हमे कुछ सूत्रों को याद करना होगा क्योकि कुछ प्राप्त करना है तो उसके लिए प्रयत्न तो करना पड़ेगा! यूँ ही ज़िंदगी बिताने से हम सफल नहीं हो सकते !  सबसे मुख्य बिंदु है कि स्वयं को अनुशासित , मर्यादित करना होगा :अपने दिन के समय को विभाजित कीजिए: कितना समय किस काम के लिए रखना है! इसलिए इसका प्रारंभ दिनचर्या ठीक करने से करना होगा !

सुबह का समय भगवान को देना है क्योकि यह अमृतवेला है जिस्में अपना संबंध प्रभु से जोड़कर ही इसका आशीर्वाद प्राप्त होगा: पहला दर्शन आँख खुलते ही भगवान का , पहला वाक्य भगवान के लिए यानी मंत्र पाठ करते हुए , पहला अपनी कमाई का हिस्सा भगवान के कार्यों के लिये ,पहला कर्म भगवान के लिए -अपनी पूजा पाठ नित्य नियम करने से ही शुरुआत करनी चाहिए !  जब आपका प्रभात शुभ होगा तो सारा दिन शुभ रहेगा ,दिन शुभ तो सप्ताह शुभ , फिर आपका महीना, वर्ष सब शुभ ही शुभ होंगे और जीवन शुभता को प्राप्त होगा  !

हर कार्य भगवान देख रहा है

अपने प्रभात को अति सुंदर बनाओ उस परमात्मा का साक्षीमानकर ,फिर आप जो भी कार्य क्षेत्र में कार्य करेंगे वह भी भगवान को ही समर्पित होगा और कोई अशोभनीय कार्य आप कर ही नहीं सकते क्योकि आप महसूस करते है की मेरा हर कार्य भगवान देख रहा है!

सबसे मुख्य बिंदु है कि आपका मार्गदर्शक अवश्य होना चाहिए यानी आपका सदगुरु! जब आप उसके निर्देशन में चलोगे तो वह आपको भक्ति के ,साधना के मार्ग पर ले जाएँगे जहाँ से सीधा रास्ता भगवान के दर पर ही जाता है ! इसलिए पूर्ण श्रद्धा समर्पण और प्रेम के साथ अपना आपा अपने गुरु को सौंप दो :सबसे बड़ी सफलता का रहस्य यही है !

इस मनुष्य योनि में ही अपका कल्याण हो जाये , बार बार जन्म लेना ,फिर मरना ,विभिन्न योनियों की पीड़ा को सहना :इन सबसे मुक्ति हो सके इसलिए कल्याण मार्ग के पथिक बन जाओ : धर्म से जूडो ,भक्ति से जूडो ,ध्यान साधना से जुड़कर एक आदर्श जीवन का निर्माण करो :

नित्य प्रार्थना करो शुभता के देवता भगवान् गणेश जी से: आपका घर प्रेम का मंदिर हो और आपकी आत्मा परमात्मा के प्रेम में सराबोर – यही शुभ जीवन की निशानी है!

आत्मचिंतन के सूत्र

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