हे प्रभु! जब तक इस संसार में हैं कर्मयोगी बनकर जिएं, यही प्रार्थना है | Sudhanshu ji Maharaj

हे प्रभु! जब तक इस संसार में हैं कर्मयोगी बनकर जिएं, यही प्रार्थना है | Sudhanshu ji Maharaj

हे प्रभु! जब तक इस संसार में हैं कर्मयोगी बनकर जिएं, यही प्रार्थना है

हे प्रभु! जब तक इस संसार में हैं कर्मयोगी बनकर जिएं, यही प्रार्थना है

दोनों हाथ जोड़ लीजिये सभी लोग और प्रेम पूर्वक अपनी आँखें बंद कर लें, थोड़ी देर के लिए संसार से अपना ध्यान हटाइए चिंताओं की दुनिया से थोड़ी देर के लिए परमात्मा के परम प्रेम से अपना सम्बन्ध जोड़िए। प्रार्थना करें सभी लोग, मन ही मन भाव जो कहे जाएं उसके अनुरूप अपनी मनोवृत्ति को बना लें। दया निधान कृपा निधान, सर्व शक्तिमान, मेरे प्यारे दाता, हे पतित पावन, हे सर्व रक्षक हम सभी श्रद्धा भक्ति से प्रभु आपको प्रणाम करते हैं!

हे प्रभु! जब तक इस संसार में हैं कर्मयोगी बनकर जिएं, यही प्रार्थना हैहम नहीं जानते आने वाले समय में जीवन में कितना सुख है, कितना दुख है, कितनी हानि, कितना लाभ, कितनी उन्नति होनी है, कितनी अवनति होनी है… प्रभु हम तो 1 ही बात जानते हैं, आपके नाम का सहारा लिया है और अपना हाथ आपके हाथ में दिया है। जिसके सिर पर आपकी कृपा छाया है वो किसी भी स्थिति में रहे, वो कभी भी दुखी नहीं रह सकता, जो आपका हो गया वो सदैव सुरक्षित है, जो आपकी शरण में है, पूरी दुनिया उसकी आँख में आँसू डालने की कोशिश करे, पर जिसको मुस्कुराहट आप दोगे वो कभी रोएगा नहीं, जिसको संभालोगे आप वो कभी गिरेगा नहीं!

जिस पर कृपा आपकी है, उसकी तो उन्नति ही उन्नति है। जो आप के सहारे चल रहा है, उसकी नौका तो पार होती ही है। इसलिए प्रभु हम आशीष चाहते हैं की हमारी जिव्हा आपका नाम जपने लग जाए, हमारे कदम आपकी राह में चलने लग जाए, हमारे हाथों से जो भी कर्म हो वो आपकी पूजा बन जाए, जो हम मनन करें उसमे आपका ही चिंतन हो।

जब तक इस संसार में हैं कर्मयोगी बनकर जिएं

जिधर देखे आपकी ही महिमा का गुणगान करते हुए, सब और दृष्टिपात करते हुए आपका स्वरूप देखे, प्रभु अपना नाम जपने का अधिकार दीजिये, सेवा करने की शक्ति दीजिये। जब तक इस संसार में है, आनंद पूर्वक जिए, कर्मयोगी बनकर जिए, सहारा देने वाले बने, सहारा लेने वाले न बने, हाथ देने के लिए उठते रहें किसी के सामने ये हाथ फैले नहीं कभी, परमात्मा कृपा करना, अपने बच्चों पर दया करना, आपके चरण शरण में जो भी उपस्थित है, आपके दरबार में जो भी आया है, सबको मालामाल करना, निहाल करना, सभी का कल्याण हो, आशीष दीजिये।

ॐ शांतिः शांतिः शांतिः ॐ

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