खेल हमारे सर्वांगीण विकास के लिए बेहद जरूरी

खेल हमारे सर्वांगीण विकास के लिए बेहद जरूरी

खेल दिवस (29 अगस्त) पर विशेष

खेल हमारे सर्वांगीण विकास के लिए बहुत ही बेहतरीन टाॅनिक है। बच्चों के स्वास्थ्य के लिए खेल बहुत ही आवश्यक हैं। बच्चा जब बहुत छोटा होता है, तब वह चारपाई पर लेटा हुआ अपने हाथों और पैरों को चलाता रहता है, जिससे उसकी वर्जिश होती है और उसका दूध पच जाता है। खेल-खेल में वह अपने-आपको तंदुरूस्त रखता है। खेल हमारे जीवन में शारीरिक, मानसिक, मनोवैज्ञानिक और बौद्धिक स्वास्थ्य के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है। खेल हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करते हैं। यदि हम प्रतिदिन खेल खेलते हैं तो वह हमारे मानसिक कौशल को विकसित करता है। वह हमारे मनोवैज्ञानिक कौशल में भी सुधार लाता है। खेल से हमें प्रेरणा, साहस, अनुशासन और एकाग्रता मिलती है। खेल एक शारीरिक क्रिया है जो विशेष तरीके और शैली से की जाती है और सभी के उसी के अनुसार खेलों के नाम भी होते हैं।

मेजर ध्यानचन्द हाॅकी के जादूगर थे:

राष्ट्रीय खेल दिवस हमारे देश के हाॅकी के महान खिलाड़ी मेजर ध्यानचन्द के प्रति अपना सम्मान प्रकट करने के लिए यह देश उनकी जयन्ती के अवसर पर मनाता है। भारत के महान हाॅकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचन्द को पूरे विश्व में ‘हाॅकी के जादूगर’ के नाम से जाना जाता है। मेजर ध्यानचन्द ने भारत को ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक दिलवाया। उन्होंने हाॅकी को विश्व में एक नई ऊँचाई तक पहुँचाया। मेजर ध्यानचन्द के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने हाॅकी के इतिहास में सबसे ज्यादा गोल किए। मेजर ध्यानचन्द ने 43 वर्ष की आयु पूर्ण होने पर सन् 1948 में हाॅकी को अलविदा कहा।

मेजर ध्यानचन्द एक सच्चे देशभक्त:

मेजर ध्यानचन्द की खेल भावना को देखते हुए, हिटलर ने स्वयं ध्यानचन्द को जर्मन सेना में शामिल कर एक बड़ा ओहदा देने की पेशकश की थी, लेकिन उन्होंने देशभक्ति का परिचय देते हुए उनकी पेशकश को ठुकरा दिया था। मेजर ध्यानचन्द की याद में वियना में एक स्पोर्ट्स क्लब में उनकी एक मूर्ति लगाई गई है, जिसमें उनको चार हाथों में चार स्टिक पकड़े हुए दिखाया गया है। उनके खेल प्रदर्शन को देखते हुए, भारत सरकार ने 1956 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया। भारत सरकार द्वारा उनके जन्मदिन को भारत का राष्ट्रीय खेल दिवस घोषित किया गया है। 29 अगस्त को खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए उत्कृष्ट खिलाड़ियों को राष्ट्रीय पुरस्कारों अर्थात् ‘अर्जुन’ और ‘द्रोणाचार्य’ से नवाजा जाता हैं। विश्व हाॅकी जगत के शिखर पर जादूगर की तरह छाए रहने वाले मेजर ध्यानचन्द का 3 दिसम्बर 1979 को देहान्त हो गया था। मेजर ध्यानचन्द का अन्तिम संस्कार उत्तर प्रदेश के झांसी शहर में किसी घाट पर न होकर उस मैदान पर किया गया, जहाँ वो हाॅकी खेला करते थे।

विद्यार्थियों के लिए खेल खेलना हुआ अनिवार्य:

खेलों के लाभों को देखते हुए, भारत सरकार ने विद्यार्थियों और बच्चों के कल्याण और अच्छे स्वास्थ्य के साथ ही मानसिक कौशल को सुधारने के लिए विद्यालय और काॅलेजों में खेल खेलना अनिवार्य कर दिया है। विद्यार्थियों का किसी ने किसी खेल में भाग लेना अनिवार्य कर दिया गया है। खेल बढ़ते हुए बच्चों के विकास के लिए बहुत ही आवश्यक है, क्योंकि इससे उनमें अच्छी आदतें और अनुशासन विकसित होता है। खेल स्वास्थ्य और तंदुरूस्ती को सुधारने के अलावा मानसिक कौशल और एकाग्रता को बनाए रखने के साथ ही सामाजिक विकास और संवाद कौशल को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

नियमित खेल से अनेकों बीमारियाँ दूर होती हैं:

नियमित रूप से खेल खेलना हमें बहुत सी शारीरिक बीमारियों, विशेष रूप से अधिक वजन, मोटापा और हृदय रोगों से सुरक्षित रखता है। खेल हमारे शारीरिक और मानसिक व्यायाम केे लिए सबसे आसान और आरामदायक तरीका है। सरकार द्वारा बच्चों और विद्यार्थियों को खेलों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने के अलावा इसके माध्यम से लोकप्रियता प्राप्त करने के लिए खेलों का आयोजन राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर किया जाता है। प्राचीन खेलों की तुलना में आधुनिक युग में खेलों में एक बेहतर भविष्य का सपना देखा जाने लगा है। बेहतर खेल प्रदर्शन करने पर खिलाड़ी को अनेक प्रकार के सुविधाजनक समानों के अलावा अच्छी नौकरी भी मिलती है।

खेलों से देश की अर्थव्यवस्था में मजबूती:

आधुनिक युग में खेलों के आयोजनों पर भारी भरकम धन खर्च किया जाता है, इसलिए अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए विश्व का प्रत्येक देश अपने देश में खेलों के आयोजन कराने के लिए तत्पर रहता है। जब किसी भी देश में खेल खेले जाते हैं तो उसे देखने के लिए देशवासी काफी उत्साहित होते हैं और अपने देश के खिलाड़ियों को मेडल जीत कर लाने के लिए ईश्वर से दुआ करते हैं। देश के खिलाड़ियों द्वारा मेडल जीतने पर देश के नागरिकों को गर्व का अनुभव होता है तथा इससे प्रत्येक देशवासी के मन में देशभक्ति की भावना विकसित होती है।

खेल अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर तनाव कम करता है:

इसके अलावा खेल अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत से देशों के बीच तनावों के कम करता है। खेल हमें सक्रिय बनाता है और हमें इससे ऊर्जा और ताकत मिलती है। खेल से हम फिट रहते हैं इसलिए यह किसी भी कठिन परिस्थिति का सामना करने के लिए जीवन को भी शान्तिपूर्ण बनाता है। खेल हमारे अन्दर मित्रता की भावना को विकसित करता है और दो लोगों के बीच के सभी मतभेदों को हटाता है। खेल हमारी कार्य कुशलता, कार्य क्षमता को सुधारता है और मानसिक औैर शारीरिक रूप से थकान होने से भी बचाता है। खेल छात्रों के बीच शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने का अभिन्न हिस्सा है। खेल और शिक्षा दोनों ही एक साथ जीवन में सफलता प्राप्त करने के सबसे अच्छे तरीके हैं।

एक स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन बसता है:

खेलों के बारे में आमतौर पर कहा जाता है कि ‘‘एक स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन में ही बसता है’’। इसका अर्थ है कि जीवन में आगे बढ़ने और जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए तंदुरुस्त शरीर में एक स्वस्थ मन का होना बहुंत ही जरूरी है। किसी भी महत्वपूर्ण लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उस पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए मानसिक और बौद्धिक स्वास्थ्य का होना बहुत आवश्यक है। खेल खेलना उच्च स्तर का आत्मविश्वास जगाता है तथा वह हमें अनुशासन सिखाता है, जो हमारे साथ जीवन भर रहता है।

विश्व में अनेक प्रकार के खेल होते हैं और उनके नाम, खेलने के तरीके और नियम भी अलग-अलग होते हैं। विश्व के कुछ प्रसिद्ध खेल इस प्रकार से हैं जैसे- क्रिकेट, हाॅकी (राष्ट्रीय खेल), फुटबाॅल, बाॅस्केट बाॅल, वाॅलीबाॅल, टेनिस, दौड़, रस्सी कूद, ऊँची और लम्बी कूद, डिस्कस थ्रो, बैडमिंटन, तैराकी, खो-खो, कबड्डी, टेबल टेनिस आदि बहुत से खेल है। खेल शरीर और मन, सुख और दुःख के बीच सन्तुलन बनाने के द्वारा लाभ-हानि को ज्ञात करने का सबसे अच्छा तरीका है।

खेलों से बच्चों का मानसिक एवं शारीरिक विकास होता है:

भारत में प्राचीन समय से ही बहुत से खेल खेले जाते हैं। देश का राष्ट्रीय खेल ‘हाॅकी’ को माना जाता है। विशेष रूप से बच्चे खेलने के बहुत अधिक शौकीन होते हैं। वे आस-पास के क्षेत्र में, पार्कों, बगीचों में खेलते हैं। वे आमतौर पर स्कूलों में खेलों में भागीदारी करते हैं। स्कूल स्तर पर, जिला स्तर पर, राज्य स्तर पर, राष्ट्रीय स्तर पर और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर देश के बच्चों और युवाओं की अधिकतम भागीदारी के लिए बहुत सी खेल गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। कभी-कभी राष्ट्रीय स्तर पर और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर जैसे-ओलंपिक या काॅमनवेल्थ खेलों में खिलाड़ियों का बेकार प्रदर्शन भारत मंे खिलाड़ियों के लिए अच्छी खेल सुविधाओं की कमी और अभाव को दिखाता है। अभी भी भारतीय एथलीट के क्षेत्र में अन्तरराष्ट्रीय स्तर के खेलों में मानक स्थिति को प्राप्त नहीं कर पाए हैं। परन्तु ऐसा लगता है कि आने वाले समय में वे ऐसा कर पाएगें क्योंकि वर्तमान सालों में खेलों का क्षेत्र बढ़ गया है। इसे देश की सरकार द्वारा स्कूल और काॅलेजों में बड़े स्तर पर बढ़ावा भी दिया जा रहा है।

निष्कर्षः

वर्तमान में भारतीय एथलीट हर राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर खेलों में अपनी भागीदारी दिखा रहे हैं और लगातार गुणवत्ता और मानक हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। भारतीय खिलाड़ियों ने पिछले ओलंपिक खेलों में बहुत कम स्वर्ण पदक जीते थे, परन्तु उनके खेल में कहीं भी साहस और उत्साह की कमी नहीं थी। भारत हाॅकी, कुश्ती, क्रिकेट आदि कई खेलों में अग्रणी है। आजकल खिलाड़ियों के चुनाव का तरीका बिना भेदभाव वाला हो गया है। बेहतरीन खिलाड़ी का चुनाव उन विद्यार्थियों में से किया जाता है, जो स्कूली स्तर और राज्य स्तर पर बहुत अच्छा खेलते हैं। वर्तमान में भारत में खेलों की स्थिति में काफी बदलाव आ गया है तथा यह लोकप्रियता और सफलता पाने का अच्छा क्षेत्र बन गया है। यह शिक्षा से अलग नहीं है और यह भी आवश्यक नहीं है कि यदि कोई अच्छा खेल खेलता है, तो उसके लिए शिक्षा की आवश्यकता नहीं है या यदि कोई पढ़ने में अच्छा है तो खेलों में शामिल नहीं हो सकता। इसका अर्थ यह है कि कोई भी व्यक्ति खेलों में भाग ले सकता हे, चाहे वह शिक्षित हो या अशिक्षित। शिक्षा और खेल एक ही सिक्के अर्थात् सफलता के दो पहलू हैं।

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